Wednesday, May 22, 2019

सबसे ख़तरनाक समुद्री रास्ते, इन पर सफ़र करना आसान नहीं

इस तरह की योजनाओं में लोहे के कण के साथ समुद्र को खाद देना शामिल है. जो समुद्री वनस्पति के विकास को बढ़ावा देता है.
यॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रो. कैलम रॉबर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में जो उपाय सामने आए हैं वो सीमाओं से परे तो हैं लेकिन मुमकिन हो तो उन पर तुरंत काम किया जाना चाहिए.
ऐसा इसलिए क्योंकि नुकसान और संभवतः अपरिवर्तनीय जलवायु परिवर्तन को रोकत पाना सीमाओं से परे माना जाता है.
'' मेरे करियर की शुरुआत में, लोगों ने कोरल लीफ़ को बेहतर करने के लिए समाधानों के सुझावों पर अपने हाथों खड़े कर दिए थे.अब सभी विकल्प सामने आया है."
समुंदर में जाने वाले अम्लों के असर को इन गर्मी रोधक कोरल और वनपस्तियों से ही कम किया जा सकता है.
वह आगे कहते हैं, '' फिलहाल, मुझे लगता है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए प्रकृति का इस्तेमाल करना एक बेहतर तरीका है. लेकिन मैं एक बेहतर भविष्य की ओर हमें आगे बढ़ाने के लिए और प्रभावी कदम देख रहा हूं.''
इस तरह के आइडिया को में कई असफ़ल होने की आशंका रहती है साथ ही ये अव्यवहारिक भी साबित हो सकता है.
लेकिन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में समुद्र भौतिकी के प्रोफ़ेसर पीटर वाधम्स का मानना है कि इन विकल्पों का मूल्यांकन सही ढंग से किया जाना चाहिए. ताकि इसके नुकसान से बचा जा सके.
वो मानते हैं कि कार्बन उत्सर्जन कम करके अब इस समस्या से नहीं निपटा जा सकता.
उन्होंने कहा, ''अगर हम हर तरह के कार्बन उत्सर्जन कम कर दे तो भी इससे बस ग्लोबल वॉर्मिंग की गति ही धीमी की जा सकती है. इससे कुछ खास नहीं होगा क्योंकि ये धरती खुद बेहद गर्म हो चुकी है. ऐसे में क्लाइमेट रिपोयर ही प्रभावी होगा.''
इंसान के बेतहाशा इस्तेमाल की वजह से दुनिया भर में कूड़े के ढेर लगते जा रहे हैं. हम जो सामान ख़रीदते हैं, उसमें से कुछ हिस्सा कचरे के तौर पर निकलता है. ऐसे कचरे के पहाड़ दुनिया भर में चुनौती खड़ी कर रहे हैं. दरिया और समंदर गंदे हो रहे हैं. शहरों में बदबू फैल रही है.
क्या कोई तरीक़ा है कि हम इस्तेमाल की हुई चीज़ को दोबारा प्रयोग करें और कचरा हो ही न?
मौजूदा वक़्त में कंपनियां कचरा कम करने के लिए तीन तरीक़े अपनाती हैंः
रीसाइकिलिंगः किसी भी उत्पाद को दोबार उसी रूप में ढालकर इस्तेमाल करना. जैसे कि प्लास्टिक की बोतलें.
डाउनसाइकिलिंगः किसी उत्पाद को दूसरी चीज़ में बदलना. जैसे कि जूतों को बास्केटबॉल का कोर्ट बनाने में इस्तेमाल करना.
अपसाइकिलिंगः किसी उत्पाद को उससे बेहतर प्रोडक्ट में तब्दील करना. जैसे कि एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की बोतलों से पॉलिस्टर कपड़ा तैयार करना, जो कई दशक तक पहना जा सकता है.
अपने तमाम नेक इरादों के बावजूद, इन सभी तरीक़ों से कचरा पैदा होता ही है. निर्माण की प्रक्रिया के दौरान या इस्तेमाल के दौरान. जो कारखाने इन्हें तैयार करते हैं, वो ग्रीनहाउस गैसें निकालते हैं. उनसे पर्यावरण बिगड़ता है. भारी धातुएं हवा में घुल कर प्रदूषण फैलाती हैं. इसके अलावा कचरा निकलकर नदियों और समुद्र में मिलता है.
कुल मिलाकर किसी भी औद्योगिक उत्पाद को तैयार करने से इस्तेमाल करने के दौरान कचरा निकलता ही है.
क्या ऐसा मुमकिन है कि हम कोई उत्पाद बिना कचरे के तैयार कर लें?
कुछ कंपनियों ने 'क्रैडल टू क्रैडल' नाम का तरीक़ा ईजाद किया है.