Thursday, September 19, 2019

मोदी-ट्रंप के जलसे पर अमरीका में रह रहे भारतीय क्या बोले

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 सितंबर को अमरीका के टेक्सस प्रांत के ह्यूस्टन शहर में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे.
'हाउडी मोदी' नाम के इस कार्यक्रम के लिए क़रीब 60 हज़ार लोगों ने या तो अब तक टिकट बुक करवा लिया है या वह वेटिंग लिस्ट में हैं.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भी इस कार्यक्रम में मोदी के साथ मंच पर होंगे.
पिछले तीन महीनों में यह तीसरा मौक़ा है कि ट्रंप और मोदी मुलाक़ात करेंगे. इससे पहले जून में जी20 की बैठक के दौरान और पिछले महीने जी7 की बैठक के दौरान भी दोनों नेताओं की मुलाक़ात हुई थी.
दोंनों देशों के बीच रिश्ते मज़बूत हैं. व्यापार के कुछ मामलों में तनाव ज़रूर है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इस मुलाक़ात में ट्रंप और मोदी व्यापार पर भी चर्चा करेंगे.
'हाउडी मोदी' कार्यक्रम की तैयारियां ज़ोर शोर से जारी हैं.
ह्यूस्टन में 5000 के क़रीब वॉलेंटियर एनआरजी अरीना को सजाने में लगे हैं.
ह्यूस्टन में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों में मोदी के आगमन को लेकर उत्साह है.
भारतीय मूल के विश्वेश शुक्ला ह्यूस्टन में रहते हैं. वह और उनके कई साथी कार्यक्रम में जाने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं.
शुक्ला कहते हैं, "बहुत उत्साह है. हम सब एनआरजी अरीना में जाने के लिए अपने प्रवेश पास का इंतज़ार कर रहे हैं. ट्रंप भी वहां आ रहे हैं इसलिए और भी उत्साह है... लोग सोच रहे हैं कि कार्यक्रम में मज़ा आएगा. सब तैयारियां भी जारी हैं, काफ़ी उत्साह है."
देश भर से कई इलाक़ों से भारतीय मूल के लोग ह्यूस्टन पहुंच रहे हैं.
उधर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ह्यूस्टन में रहते हैं लेकिन 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में या तो प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों से वैचारिक मतभेद के कारण या निजी मुश्किलों के कारण नहीं जा पा रहे हैं.
ह्यूस्टन में रहने वाली एक भारतीय मूल की अमरीकी महिला आभा वैचारिक मतभेद के कारण कार्यक्रम में नहीं जाएंगी, लेकिन 'हाउडी मोदी' के बारे में वह कहती हैं, "बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है यह कार्यक्रम, पूरा अरीना तंबू से ढका जा रहा है, पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है. पाँच हज़ार से अधिक वॉलेंटियर लगे हुए हैं. एक तरीक़े से पूरा शो चल रहा है और लोगों के लिए मुफ़्त का आकर्षण भी है, तो सब जाने की तैयारी में लगे हैं."
इसी तरह भावना नाम की एक महिला इस बात से परेशान हैं कि भीड़ में बूढ़े लोगों को और बच्चों को लेकर कैसे जाएंगे.
भावना कहती हैं, "सुबह के समय वहां डाउनटाउन के इलाक़े में ट्रैफ़िक की भीड़ बहुत होती है, बहुत समय लग जाता है. पार्किंग मिलना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा बूढ़े लोगों के साथ वाले परिवार और बच्चों के साथ भी जाना मुश्किल है."
हाउडी मोदी में शामिल होने जा रहे बहुत से लोगों को मोदी से भारत में सरकार की नीतियों और देश के विकास के बारे में उन्ही की ज़बानी सुनना है तो कुछ लोग यह भी चाहते हैं कि मोदी अब काले धन को वापस लाने जैसे मामलों में कुछ करके भी दिखाएं.
ह्यूस्टन में रहने वाले भारतीय मूल के कांति भाई पटेल कहते हैं, "हम यह सुनना चाहते हैं कि मोदी जी काला धन वापस लाने की नीति के बारे में बताएं. हम चाहते हैं कि काला धन वापस लाने के लिए वह अब कोई एक्शन लें."
वहीं ह्यूस्टन में रहने वाले कुछ मुसलमान भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में शामिल ही नहीं हो रहे बल्कि उसकी तैयारी में भी हाथ बटा रहे हैं.
शहर की एक मुस्लिम संस्था इंडियन मुसलिम्स असोसिएशन ऑफ़ ग्रेटर ह्यूस्टन के लताफ़त हुसैन कहते हैं, "कुछ लोग तो विरोध करना चाहते हैं, तो कुछ चाहते हैं कि बैठकर बात करनी चाहिए. हम लोग तो मोदी जी से बात करना चाहते हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ जो हो रहा है उसके लिए सरकार को बहुत कुछ करना पड़ेगा. ख़ासकर सुरक्षा के हवाले से और इस सिलसिले में हम मोदी जी को एक ज्ञापन भी देंगे."
लताफ़त हुसैन बताते हैं कि उनकी संस्था के कई लोग 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम के प्रबंधन के कामों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं.
लताफ़त हुसैन ख़ुद एक डेमोक्रेट हैं लेकिन वो कहते हैं कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप हाउडी मोदी में शामिल होने आ रहे हैं तो यह भारत के लिए गर्व की बात है.
लताफ़त हुसैन को उम्मीद है कि दोंनों नेता इस कार्यक्रम के दौरान मुलाक़ात में भारत और अमरीका के बीच व्यापार में जारी तनाव को भी सुलझाने में सफल होंगे.
अमरीका में 77 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट देते हैं. इसलिए 2020 के चुनाव को नज़र में रखते हुए भी ट्रंप 'हाउडी मोदी' में शामिल होकर विभिन्न प्रांतों में करीब 20 लाख भारतीय मूल के अमरीकी वोटरों को भी शायद रिझाने की कोशिश करना चाहते हैं.